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इस मश़्के के तग़ाफ़ुल की क़सम ये तो बता दे
ताउम्र मै बे़ताब ही बे़ताब रहूं क्या ?
मख़्लूक भी हस्ती मेरी ख़ालिक़ भी मेरी जात
इस पर भी तुझे इल्म़ नहीं है कि मैं हूं क्या ?
सब तेरी मोहब्ब़त की इनाय़त है वरना
मैं क्या मेरा दिल क्या मेरे अंदाज़े- जुनूं क्या ?
माना बहुत तल्ख़ हैं अंजामे तमन्ना
यह गम तेरे खातिर भी गवारा न करूं क्या ?

श़ुक्रिया !

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जमी का दर्द कहां सुनता है आसमां उसे तो अपने ही गरजनो से फुर्सत कहां

बहुत खूब !

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