Mamta Singh Devaa
Author
1 Jul 2020 11:17 PM
हृदय से धन्यवाद ?
जीवन संघर्ष के दौर में बाहरी दुनिया से संघर्ष की तुलना में अपने रिश्तो से संघर्ष मनुष्य को बहुत कष्टदायक होता है और उसे आंतरिक रुप से बहुत व्यथित कर देता है। जिसे दृढ़ता और आत्म संकल्प से ही जीता जा सकता है। आपने यह भली भांति अपनी कथा में प्रस्तुत किया है।
धन्यवाद !