हां यदि अब भी पड़ोसी देश अपनी हिमाकत से बाज नहीं आते हैं तो फिर कठोर निर्णय लेने की आवश्यकता तो पड़ेगी, किन्तु एक साथ तीन फ्रंन्टो पर एक साथ निपटने में समस्या तो आनी है,देश के नागरिकों को त्याग और कठिनाई दोनों ही रुप में तैयार रहना चाहिए,हम सीमाओं पर लड़ नहीं सकते परन्तु देश की सेवा में अपने सुख-दुख को कुछ समय के लिए लंबित तो रख सकते हैं, सरकार को आर्थिक रूप से मदद करने को भी तैयार रहना होगा। सैनिकों को हम अकेले नहीं छोड़ सकते, और सरकार को सहारा देने को भी तत्पर रहना होगा। जयहिंद
हां यदि अब भी पड़ोसी देश अपनी हिमाकत से बाज नहीं आते हैं तो फिर कठोर निर्णय लेने की आवश्यकता तो पड़ेगी, किन्तु एक साथ तीन फ्रंन्टो पर एक साथ निपटने में समस्या तो आनी है,देश के नागरिकों को त्याग और कठिनाई दोनों ही रुप में तैयार रहना चाहिए,हम सीमाओं पर लड़ नहीं सकते परन्तु देश की सेवा में अपने सुख-दुख को कुछ समय के लिए लंबित तो रख सकते हैं, सरकार को आर्थिक रूप से मदद करने को भी तैयार रहना होगा। सैनिकों को हम अकेले नहीं छोड़ सकते, और सरकार को सहारा देने को भी तत्पर रहना होगा। जयहिंद