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अतिसुंदर प्रस्तुति।

आपकी प्रस्तुति को मैंने अपने शब्दों में प्रस्तुत किया है कृपया स्वीकार हो :

सही गलत की परिभाषा अपनी-अपनी सोच है।
नियम निर्धारण एवं प्रति पालन मानव की खोज है।
स्वच्छंदता पर लगाम के नाम पर ये परतंत्रता के बंधन हैं।
सभ्यता और संस्कृति के नाम पर ये व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर युक्तिगत नियंत्रण हैं।
स्वच्छंद आचार विचार और व्यवहार लिए पवित्र आत्मा पर अंकुश हेतु शिष्टाचार जैसे सुंदर शब्द गढ़े।
उन्मुक्त मन के पंछी की उड़ान को रोक आजीवन बंदी करने संस्कारों के दिन प्रतिदिन नवीन काराग्रह निर्मित किए।
आत्मा तड़पती रही आजीवन मुक्ति को इन अंकुशों और बंधनों से आशाविहीन ।
तोड़ जिन्हें कर दुस्साहस परिभाषित होती रही निरंकुश ,असामाजिक असंस्कारी , और चरित्रहीन।

धन्यवाद !

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Bahut khoob, ese main aapni profile pr post kerdu??

अवश्य !

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