प्रसंग वह, श्रीकृष्ण ने भी अपने वचन को भंग कर रथ के पहिए को हथियार बना कर उपयोग किया था, लेकिन अपने वीर सैनिकों को तो वह भी हासिल नहीं थे, फिर भी डटे रहे, सीमाओं की रक्षा के लिए अपने प्राणों के उत्सर्ग होने तक,यह कैसी बेबसी है कि सीमाओं की रक्षा को तैनात हुए हैं बिना हथियारों के!
चीनी रात्रि प्रहर में कायर की भांति वार किया ।हम उसका मुंह तोड़ प्रतिउत्तर दिए ।चीनी हमारे वीरों को दुर्बल न समझें हमारा हाथ भी हथियार है ।
साधुवाद और अभिनंदन!
प्रसंग वह, श्रीकृष्ण ने भी अपने वचन को भंग कर रथ के पहिए को हथियार बना कर उपयोग किया था, लेकिन अपने वीर सैनिकों को तो वह भी हासिल नहीं थे, फिर भी डटे रहे, सीमाओं की रक्षा के लिए अपने प्राणों के उत्सर्ग होने तक,यह कैसी बेबसी है कि सीमाओं की रक्षा को तैनात हुए हैं बिना हथियारों के!