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आत्महत्या के कारण का पता लगाने के लिए गंभीर चिंतन की आवश्यकता है।
यह गहन अवसाद की एक ऐसी मनोदशा है जिसमें मनुष्य एकाकीपन से ग्रस्त होकर अपने आप को असहाय महसूस करने लगता है।
और उसके मनस पटल पर छाया विषाद किसी बाहरी परामर्श एवं प्रेरणा के अभाव में उसके आत्मविश्वास को नगण्य कर देता है ।
और उसमे इस भौतिक संसार के प्रति वितृष्णा उत्पन्न होती है । और उसमें इस संसार से प्रतिकार लेने में उसकी असमर्थता का भाव उसके इस संसार में अस्तित्व को चुनौती देता है । और उसे अपने जीवंत अस्तित्व से घृणा होने लगती है।
और इस प्रकार भावातिरेक की अवस्था में पहुंच कर वह मृत्यु को वरण कर लेता है ।
कभी-कभी इसमें अपनी मृत्यु से दूसरों को दुःखी करने की अंतर्निहित भावना का भी समावेश होता है।

धन्यवाद !

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