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प्रेरणा एवं आत्मविश्वास की कमी ही अवसाद को जन्म देती है और मन मस्तिष्क पर छाया एकाकीपन एवं असहाय स्थिति से अपने अस्तित्व से वितृष्णा उत्पन्न होती है। जो संसार से प्रतिकार करने में असमर्थ अपने अस्तित्व से ही बदला ले लेती है। जिसे हम स्वयं मृत्यु को वरण करना या आत्महत्या कहते हैं। जिसमें अपनी मृत्यु से दूसरों को दुःखी कर बदला लेने की अंतर्निहित भावना का समावेश होता है।

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