Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 Jun 2020 06:56 AM

समाज के वन्चित एवम शोषित वर्ग के प्रति संवेदनशीलता, साहित्य का प्रमुख उद्देश्य है ।इन्सानों की सपरिवार कष्टदायी लम्बी यात्राओं के दृश्य ने ह्रदयों को झझकोर दिया है, उन की भावनाओं को बड़े ही सुन्दर रूप से कविता में प्रस्तुत किया है।
अन्त में मार्मिक प्रश्न से समाज की आत्मा को उनकी इस त्रासदी में सहभागिता न प्रदर्शित करने के लिये दर्पण दिखाया है जिसका कोई उत्तर नहीं है

है तो आदमी
फिर क्यों उसे
आदमी नहीं बुलाया
जा रहा ll
एक जागरूक नागरिक तथा भावुक ह्रदय के उदगारों से अप्रतिम रचना का जन्म हुआ है जो पाठकों के ह्रदय में अपनी छाप छोड़ता है।
बहुत बहुत साधुवाद ।

You must be logged in to post comments.

Login Create Account
11 Jun 2020 10:24 AM

Bahut bahut dhanyawad

Loading...