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अब अहल-ए-दर्द ये जीने का एहतिमाम करें ।
उसे भुला के ग़म-ए-ज़िंदगी का नाम करें ।

श़ुक्रिया !

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vasu Author
9 Jun 2020 09:05 AM

आपका शुक्रिया सर ?

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