अब अहल-ए-दर्द ये जीने का एहतिमाम करें । उसे भुला के ग़म-ए-ज़िंदगी का नाम करें ।
श़ुक्रिया !
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आपका शुक्रिया सर ?
अब अहल-ए-दर्द ये जीने का एहतिमाम करें ।
उसे भुला के ग़म-ए-ज़िंदगी का नाम करें ।
श़ुक्रिया !