ऱूदादे दिल की दास्ताँँ हम सुनाते रहे उन्हें श़ामों स़हर। अश्क़ उनके रोकने से भी न रुके बहते रहे इस कदर।
श़ुक्रिया !
You must be logged in to post comments.
आपका शुक्रिया ?
ऱूदादे दिल की दास्ताँँ हम सुनाते रहे उन्हें श़ामों स़हर।
अश्क़ उनके रोकने से भी न रुके बहते रहे इस कदर।
श़ुक्रिया !