अखिलेश 'अखिल'
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3 Jun 2020 07:31 PM
शुक्रिया आत्मीय सर।
बहुत खूब ! बेहतऱीन अल्फाज़ !
ख़लिश की क़यामत से वो भी आबाद नही ।
ख़ुशाम़दीद !