Seema katoch
Author
28 May 2020 08:55 AM
जी, हमारे बच्चे इन रिश्तों को कहां समझ पाएंगे क्योंकि अधिकतर एक या दो बच्चे हैं सबके। वो इन रिश्तों की एहमियत ,इनके आने से को सकून हम लोगों ने महसूस किया था ,जो आनंद हम को आता था ,ये सब धीरे धीरे ख़तम हो रहा । वही कहने की कोशिश की है।
आपकी प्रतिक्रिया का इंतज़ार रहता है sir,,,, शुक्रिया
प्राकृतिक संपदा के दोहन से उत्पन्न जीव-जंतुओं की प्रजातियों के विलुप्त होने की समस्या पर व्यंगपूर्ण प्रस्तुति।
धन्यवाद !