अल़म के अंधेरे कब तलक़ टिक सकेंगे । ये तो खुश़नुमा स़हर के आग़ाज़ तक ही रुक सकेंगे।
श़ुक्रिया !
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अल़म के अंधेरे कब तलक़ टिक सकेंगे ।
ये तो खुश़नुमा स़हर के आग़ाज़ तक ही रुक सकेंगे।
श़ुक्रिया !