हमारा अतीत हमारी वर्तमान सोच पर अप्रत्यक्ष प्रभाव डालता है। बीते हुए अनुभवों से हमें कुछ सकारात्मक सीख तो मिलती ही है साथ ही साथ हम नकारात्मक पूर्वाग्रह से भी ग्रसित हो जाते हैं। किसी व्यक्ति विशेष या वर्ग के प्रति धारणा बना लेने से हमारा वर्तमान प्रभावित होता है। वर्तमान में हमें आत्मचिंतन कर विवेकपूर्ण निर्णय लेने की आवश्यकता है। भावनाओं में ना बहकर हमें वर्तमान में यथार्थ के धरातल पर परिस्थितियों का आकलन कर अपनी प्रज्ञा शक्ति से विवेकशील निर्णय लेने की आवश्यकता है। यहां मैं कहना चाहूंगा कि कभी-कभी अतीत का प्रभाव हमारे मानस पटल पर स्थाई रूप से हो जाता है विशेषकर अल्पायु में होने वाली घटनाओं के अनुभव से होने वाला प्रभाव जीवन पर्यंत हमारी सोच पर रहता है जिसे मिटाया नहीं जा सकता।
हमारा अतीत हमारी वर्तमान सोच पर अप्रत्यक्ष प्रभाव डालता है। बीते हुए अनुभवों से हमें कुछ सकारात्मक सीख तो मिलती ही है साथ ही साथ हम नकारात्मक पूर्वाग्रह से भी ग्रसित हो जाते हैं। किसी व्यक्ति विशेष या वर्ग के प्रति धारणा बना लेने से हमारा वर्तमान प्रभावित होता है। वर्तमान में हमें आत्मचिंतन कर विवेकपूर्ण निर्णय लेने की आवश्यकता है। भावनाओं में ना बहकर हमें वर्तमान में यथार्थ के धरातल पर परिस्थितियों का आकलन कर अपनी प्रज्ञा शक्ति से विवेकशील निर्णय लेने की आवश्यकता है। यहां मैं कहना चाहूंगा कि कभी-कभी अतीत का प्रभाव हमारे मानस पटल पर स्थाई रूप से हो जाता है विशेषकर अल्पायु में होने वाली घटनाओं के अनुभव से होने वाला प्रभाव जीवन पर्यंत हमारी सोच पर रहता है जिसे मिटाया नहीं जा सकता।
धन्यवाद !