सच्चे रिश्ते बनाए नहीं बन जाते। रिश्तो की विभिन्न श्रेणियों है। कुछ भावनात्मक होते हैं, कुछ स्वार्थ परक, कुछ मजबूरी में निभाए जाते हैं। कुछ रिश्ते किसी खास प्रयोजन से बनाए जाते है जोअस्थायी होते हैं।
रिश्तो की निर्वाह में भावनात्मक धारा में न बहकर
अपनी प्रज्ञा शक्ति का प्रयोग आवश्यक है। अन्यथा रिश्तो में विश्वासघात की संभावनाएं हो सकती है जो रिश्तो के टूटने का मूल कारण बन सकती हैं।
जहां तक मेरा सोचना है रिश्ते बनाते समय जांच परख से रिश्तो का चयन करना संभव नहीं है अपितु रिश्तो के निर्वाह में सावधानी बरतने की आवश्यकता है।
सच्चे रिश्ते बनाए नहीं बन जाते। रिश्तो की विभिन्न श्रेणियों है। कुछ भावनात्मक होते हैं, कुछ स्वार्थ परक, कुछ मजबूरी में निभाए जाते हैं। कुछ रिश्ते किसी खास प्रयोजन से बनाए जाते है जोअस्थायी होते हैं।
रिश्तो की निर्वाह में भावनात्मक धारा में न बहकर
अपनी प्रज्ञा शक्ति का प्रयोग आवश्यक है। अन्यथा रिश्तो में विश्वासघात की संभावनाएं हो सकती है जो रिश्तो के टूटने का मूल कारण बन सकती हैं।
जहां तक मेरा सोचना है रिश्ते बनाते समय जांच परख से रिश्तो का चयन करना संभव नहीं है अपितु रिश्तो के निर्वाह में सावधानी बरतने की आवश्यकता है।
धन्यवाद !