श्याम सुंदर जी, यह मेरे चचेरे भाई भी हैं और मित्र भी, साथ साथ पढ़े,खेले, वैवाहिक जीवन में भी एक पखवाड़े का ही अंतराल है, संघर्ष पर पर संघर्ष साझा रहा है, लेकिन अंतिम समय में एक दूसरे से हजारों मिल दूर रहने से उसके पास नहीं था, इसका अफसोस ताउम्र बना रहेगा।ओम शांति ओम शांति!
श्याम सुंदर जी, यह मेरे चचेरे भाई भी हैं और मित्र भी, साथ साथ पढ़े,खेले, वैवाहिक जीवन में भी एक पखवाड़े का ही अंतराल है, संघर्ष पर पर संघर्ष साझा रहा है, लेकिन अंतिम समय में एक दूसरे से हजारों मिल दूर रहने से उसके पास नहीं था, इसका अफसोस ताउम्र बना रहेगा।ओम शांति ओम शांति!