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यह सब राजनेता मजदूरों के प्रति संवेदना का नाटक करते रहते हैं। इनका लक्ष्य केवल वोट बैंक की राजनीति है। ये तत्व अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए किसी भी हद तक गिर सकते हैं ।इनका कोई ईमान धर्म नहीं है। इनके लिए नीति आदर्श सब किताबी कोरी बातें हैं। इनको बड़ी-बड़ी बातें करने की कला आती है। पर वास्तविकता में इनका निजी स्वार्थ सर्वोपरि है। जिसकी पूर्ति में ये खुद को बेचने से भी नहीं कतराते हैं।

धन्यवाद !

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