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14 May 2020 11:07 PM

कलम बागी नहीं होती है। वो तो हमारे इशारों पर नाचती है। हम जैसे उसे नचाएं। अच्छी कविता है ।
धन्यवाद!

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Aman 6.1 Author
15 May 2020 01:07 AM

जब जुल्म होता तो कलम भी बागी हो ही जाती जी✍️

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