बस यही करते रहना है सागर जी, अपने उद्गार प्रकट करने में संकोच कैसा? लेखनी से यह आभास सबको करवाते हुए अपना दायित्व का निर्वाह हुआ करें, बाकी जागने वाले जब तक जग नहीं जाते, प्रयास करते जाना है।
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बस यही करते रहना है सागर जी, अपने उद्गार प्रकट करने में संकोच कैसा? लेखनी से यह आभास सबको करवाते हुए अपना दायित्व का निर्वाह हुआ करें, बाकी जागने वाले जब तक जग नहीं जाते, प्रयास करते जाना है।