शशि शर्मा "मंजुलाहृदय"
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5 May 2020 09:37 PM
उत्तम रचना।
धन्यवाद!
प्रेम की परिभाषा , मानव की अभिलाषा
जगत जननी , दुःखहरणी सृष्टि की अनमोल कृति नारी हूँँ मैं।
संकट मोचनी , पापनाशिनी , दावानल बन जाऊं वह वीरांगना चिंगारी हूँँ मैं।
धन्यवाद !