Bhupendra Rawat
Author
6 May 2020 12:18 AM
शुक्रिया ज्योति जी
ना अपना जाने ना पराया ,
ये दिल है ना बड़ा ही बोला है ।
सिर्फ प्यार ही तो सीखा है ,
इसलिए हर जगह दिल खोला है ।।
? आपकी प्रस्तुति अति सुन्दर है?