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जिस्म़ का बोझ उठाए नहीं उठता तुमसे ज़िंदगानी का कड़ा बोल सहोगी कैसे ?
तुम जो हल्की सी हवाओं में लचक जाती हो ज़िंदगानी के तेज़ थपेड़ों में रहोगी कैसे ?

श़ुक्रिया !

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24 Apr 2020 09:58 AM

वाह

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