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पालघर में निरीह संतो की नृषंस हत्या एक सोची-समझी साजिश का नतीजा है ।
जिसमें विदेशी ताकतों का हाथ होने से इन्कार नहीं किया जा सकता। जिनका उद्देश्य देश में सांप्रदायिक सौहार्द्र बिगाड़ कर ,देशभर में संप्रदायिक दंगे फैलाकर , इस संकट के माहौल में देश में अस्थिरता फैलाना है।
हमें इस प्रकार के तत्वों से सावधान रहकर उन्हें उनके नापाक इरादों में सफल नहीं होने देना चाहिए।
वर्तमान परिस्थिति में हमें आक्रोश के स्थान पर संयम बरतकर इस नृशंस हत्या के दोषी समस्त तत्वों को बेनकाब कर दंडित करना होगा।
और ऐसे समस्त तत्व जो छद्म वेश में इन सभी तत्वों को बढ़ावा देते हैं को भी देश के सामने लाकर उनकी निकृष्ट भूमिका की भृर्त्सना करनी होगी।
इस संकट की घड़ी मे हमारे आक्रोष से प्रत्युत्तर की भावना से लिया गया कोई भी कदम हमें और परेशानी में डाल सकता है और अनेक निरीह लोगों के जानें ले सकता है। और देश में सांप्रदायिक द्वेष एवं अस्थिरता का माहौल पैदा कर , इन समस्त देशद्रोही तत्वों को उनकी कुटिल चालों एवं मंतव्यों में सफल बना सकता है।

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