एकलव्य भाई आपकी कविता में ममत्व की पराकाष्ठा को देख मेरा जहन आसुओं से सराबोर हो गया है,बहुत ही अच्छी कविता है।
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जी प्रणाम,सर्वप्रथम आपको बहुत-बहुत धन्यवाद जो आपने मेरी रचना का वाचन किया।
एकलव्य भाई आपकी कविता में ममत्व की पराकाष्ठा को देख मेरा जहन आसुओं से सराबोर हो गया है,बहुत ही अच्छी कविता है।