Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings

तुझे लिखे ख़त अब मेरे जीने का सब़ब हैं।
अभी भी मुंतज़िर हूं तेरे जवाब आने का।

श़ुक्रिया !

You must be logged in to post comments.

Login Create Account
Loading...