नियति के चक्र से बचकर रहना दुष्कर है। कल्पना को छोड़ यथार्थ में रहना श्रेयस्कर है।
धन्यवाद !
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नियति के चक्र से बचकर रहना दुष्कर है।
कल्पना को छोड़ यथार्थ में रहना श्रेयस्कर है।
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