उनके हुस्न ए मुजस्स़िम का अस़र इस क़दर है। लगता है मुझे मेरे पांव ज़मी पर नही ये जन्ऩत की सहर है।
श़ुक्रिया !
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उनके हुस्न ए मुजस्स़िम का अस़र इस क़दर है।
लगता है मुझे मेरे पांव ज़मी पर नही ये जन्ऩत की सहर है।
श़ुक्रिया !