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अश्क थम से गए हैं अल्फाज जम से गए हैं
दर्द-ए-ग़म अब सालता नहीं।
फिर भी दिल मानता नहीं।
गुजरे वक्त की यादों को भुलाऊं तो भुलाऊं कैसे।
इस पागल दिल को समझाऊं तो समझाऊं कैसे।

श़ुक्रिया !

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