मधुसूदन गौतम
Author
8 Mar 2020 09:36 PM
Nice, thanks
Nice, thanks
सुन्दर प्रस्तुति
तू परिंदा है फिर भी जान ले इतना
दाने में देख ज़हर मिला है कितना
देख नैसर्गिक दाना उस ओर फिर तू मुड़
तू परिंदा है ज़रा देख संभल कर उड़ ।