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शब्दों के पंछी स्वच्छंद विचरण करते हैं ।
इनकी उड़ान की कोई सीमा नहीं होती है ।
ये विभिन्न नव आयामों को अपने में समाहित किए होते हैं।
कभी ये बचपन की मासूमियत लिए तो कभी प्रबुद्ध दर्शन से परिपूर्ण अपने को प्रस्तुत करते हुए होते हैं।
कभी यह सार्थकता से परिपूर्ण यथार्थ को प्रदर्शित करते हुए होते हैं।
तो कभी निरर्थक अनर्गल प्रलापों से युक्त प्रकट होते हैं।
ये असीमित इच्छाओं और आकांक्षाओं की भावनाओं को प्रकट करते हुए तो कभी मानवीय मूल्यों और संवेदनाओं को व्यक्त करते हुए होते हैं ।
इनका मर्म सही अर्थों में जानने के लिए विलक्षण प्रतिभा की आवश्यकता होती है।
इन पर विजय पाने के लिए साहस धैर्य समर्पण एवं बलिदान की आवश्यकता होती है।

धन्यवाद !

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8 Mar 2020 11:05 PM

Ji Shi kha…bahut bahut dhanyawad

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