जिस्म़ पर बने नश्त़र के जख्म़ वक्त गुज़रते भरते हैं । पर जो बनते जख्म़ दिलों पर वक्त गुज़रते गहराते हैं ।
श़ुक्रिया !
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जिस्म़ पर बने नश्त़र के जख्म़ वक्त गुज़रते भरते हैं ।
पर जो बनते जख्म़ दिलों पर वक्त गुज़रते गहराते हैं ।
श़ुक्रिया !