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4 Mar 2020 02:59 PM

बहुत खूबसूरत
जीत और हार,यश और अपयश,हानि और लाभ एक ही सिक्के के दो पहलू है जो सदैव साथ साथ ही चलते है।
इस कविता के सन्देश को आत्मसात करे तो दुख और अवसाद काफी काम हो जायेंगे।इन भावो को शब्दो की माला में पिरो एक देदिप्त्मान हार सा स्वरूप प्रदान किया है।
पुन: सादर अभिनंदन

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4 Mar 2020 03:50 PM

Bahut bahut धन्यवाद

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