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तिश़नगी जम गई है पत्थर की तरह होठों पर डूब कर भी तेरे दरिया से मैं प्यासा निकला।
क्या भला मुझको परखने का नतीजा निकला ज़ख्मे दिल आपकी नजरों से भी गहरा निकला।

श़ुक्रिया !

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1 Mar 2020 08:53 PM

Lajawab

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