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मैंने आज आपकी कविता ‘हां मैं शूद्र हूं’ फेसबुक पर भी शेयर किया.
कर्मभूमि जन्मभूमि रणभूमि के सहज सामंजस्य का अनूठा संगम . अब तुम इस आधार से बाहर हो …
बहुत सुंदर प्रस्तुति धन्यवाद आपका जी
मैडम जी, इस कविता के लिए आपको बारंबार नमन. मन को गहरे छू गई यह कविता.
मैंने आज आपकी कविता ‘हां मैं शूद्र हूं’ फेसबुक पर भी शेयर किया.