Comments (2)
12 Jun 2016 07:23 AM
कई पीढ़ियों बाद में ‘प्रीत’ का यह साहित्य।
शुरू किया ‘अर्चना’ ने ‘क्रान्त’ हो गये धन्य।।
✍ Dr.Krant M.L.Verma
krantmlverma@gmail.com
कई पीढ़ियों बाद में ‘प्रीत’ का यह साहित्य।
शुरू किया ‘अर्चना’ ने ‘क्रान्त’ हो गये धन्य।।
✍ Dr.Krant M.L.Verma
krantmlverma@gmail.com
वाह ! बहुत सुंदर दोहे.
प्यार मुहब्बत का हुआ , ऐसा रूप खराब |
गुलशन का हर शूल ज्यों, चुभने को बेताब ||