Comments (4)
27 Aug 2016 08:38 PM
उम्दा रचना आपकी…..
Versha Varshney
Author
27 Aug 2016 08:48 PM
Thanks
अक्षरशः सत्य वर्षा जी । आज चारों तरफ मानवता बैआबरू हो रही, निर्मम कत्ल का शिकार हो रही है। मानवता की दहकती ज्वाला में रोटीयाँ सेकने की होड़ लगी है। आज भारतीय सभ्यता और संस्कृति रो रही है। सत्य विचार के लिए साधुवाद
बहुत बहुत धन्यवाद आपको