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अक्षरशः सत्य वर्षा जी । आज चारों तरफ मानवता बैआबरू हो रही, निर्मम कत्ल का शिकार हो रही है। मानवता की दहकती ज्वाला में रोटीयाँ सेकने की होड़ लगी है। आज भारतीय सभ्यता और संस्कृति रो रही है। सत्य विचार के लिए साधुवाद

27 Aug 2016 09:10 PM

बहुत बहुत धन्यवाद आपको

27 Aug 2016 08:38 PM

उम्दा रचना आपकी…..

27 Aug 2016 08:48 PM

Thanks

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