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झुक आई बदरिया सावन की । सावन की मनभावन की । नन्हीं-नन्हीं बुँदियाँ , मेहा बरसे , भनक पड़ी हरि आवन की । – मीरा ।
बहुत सुंदर।
कान्हा की चर्चा सूंदर ही होनी चाहिए…
Waah ji behtreen gajal hui ji.
धन्यवाद, आपके स्नेह के लिए
झुक आई बदरिया सावन की ।
सावन की मनभावन की ।
नन्हीं-नन्हीं बुँदियाँ , मेहा बरसे ,
भनक पड़ी हरि आवन की ।
– मीरा ।