निज के भौतिक सपनों के बिगड़ते परिदृश्यों की कुण्ठा में लिखा गया काव्य मां को विषयवस्तु बनाकर काव्यकार की दृढ़ता का बोध कराता है। काव्य आगे किसी मोड़ तक आगे जाने की अपेक्षा करता है।समाज को विद्रूपित करने वाले ऐसे आवश्यक विषय जागृति के लिए लाने के लिए काव्यकार को बधाई।
निज के भौतिक सपनों के बिगड़ते परिदृश्यों की कुण्ठा में लिखा गया काव्य मां को विषयवस्तु बनाकर काव्यकार की दृढ़ता का बोध कराता है। काव्य आगे किसी मोड़ तक आगे जाने की अपेक्षा करता है।समाज को विद्रूपित करने वाले ऐसे आवश्यक विषय जागृति के लिए लाने के लिए काव्यकार को बधाई।