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वाआआआह् माँ अतिसुन्दर ग़ज़ल

वाह्ह्ह बहुत सुन्दर

24 Jul 2016 07:16 PM

वाह निर्मला जी कमाल की ग़ज़ल । मगर क्या परखना उसको जो केवल तुम्हारा है,बहुत खूब।

24 Jul 2016 09:30 AM

वाह ! अच्छी गजल हुई है. बहुत बधाई. सादर.

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