Comments (4)
25 Jul 2016 12:26 PM
वाह्ह्ह बहुत सुन्दर
24 Jul 2016 07:16 PM
वाह निर्मला जी कमाल की ग़ज़ल । मगर क्या परखना उसको जो केवल तुम्हारा है,बहुत खूब।
24 Jul 2016 09:30 AM
वाह ! अच्छी गजल हुई है. बहुत बधाई. सादर.
वाआआआह् माँ अतिसुन्दर ग़ज़ल