Comments (8)
5 Jul 2016 10:59 AM
वाह्ह्ह्ह् शानदार ग़ज़ल
हिमकर श्याम
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5 Jul 2016 11:04 AM
शुक्रगुज़ार हूँ
5 Jul 2016 09:42 AM
व्आह्ह्ह्ह्ह् लआजवाब गज़ल
हिमकर श्याम
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5 Jul 2016 11:04 AM
शुक्रिया आपका
5 Jul 2016 06:30 AM
श्याम जी उम्दा …..!!
हिमकर श्याम
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5 Jul 2016 11:03 AM
शुक्रिया आपका
अपने ख़्वाबों की निगहबानी करो
फायदा क्या ख़्वाहिशों को मार कर
है हमें लड़ना मुसलसल वक़्त से
हर घड़ी हासिल तज़ुर्बा यार कर
बहुत बढिया।
तहे दिल से शुक्रिया