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29 Jul 2016 06:08 AM

अपने ख़्वाबों की निगहबानी करो
फायदा क्या ख़्वाहिशों को मार कर

है हमें लड़ना मुसलसल वक़्त से
हर घड़ी हासिल तज़ुर्बा यार कर

बहुत बढिया।

तहे दिल से शुक्रिया

5 Jul 2016 10:59 AM

वाह्ह्ह्ह् शानदार ग़ज़ल

शुक्रगुज़ार हूँ

व्आह्ह्ह्ह्ह् लआजवाब गज़ल

शुक्रिया आपका

5 Jul 2016 06:30 AM

श्याम जी उम्दा …..!!

शुक्रिया आपका

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