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“कस्तूरी नाभी बसे, मृग ढूंढत वन माहि।” सुक़ूम वाह्यलोक नही, अंतर्मन का वासी है।” एक सुंदर तार्किक रचना के लिए बधाई। 👌👌
Thank you so much for your kind words!!
Most welcome
काबिले-तारीफ 👌🏻👌🏻👍 हकीकत से रूबरू कराया है आपने
आप के भाव बहुत अच्छे हैं, उम्दा लेखनी, आपको पढ़कर सुखद अनुभव और एहसास हुआ, ऐसे ही कलम चलाते रहिए।❤️👌🏻👍
Bahut Shukriya, same here, when I read your posts!! Good Luck!!
“कस्तूरी नाभी बसे, मृग ढूंढत वन माहि।”
सुक़ूम वाह्यलोक नही, अंतर्मन का वासी है।”
एक सुंदर तार्किक रचना के लिए बधाई। 👌👌
Thank you so much for your kind words!!
Most welcome