श्रमजीवियों की बेकद्री ने ही इस देश को अबतक विकासशील बना रखा है और मुद्रा को कमजोर। किसी भी देश की अर्थव्यवस्था श्रमजीवियों के उत्पादन से ही मजबूत हो सकती है। सकल घाटे को सकल मुनाफे में केवल श्रमजीवियों की बदौलत ही बदला जा सकता है। मंदी आम आदमी की जेब में पैसा आने से ही खत्म होगी।
स्वागत योग्य प्रतिक्रिया ✌️
गहरे भावों से पुष्टि की
तहेदिल आभार व्यक्त करते हैं
उत्कृष्ट सृजन
✌️