वही शायद बेपनाह, बेइंतहा, बेहिसाब, मोहब्बत को मांग, इसके आगे कुछ लिखना बाकी रहा है क्या सीमा जी इसका अर्थ समझने में कठिन हो रहा है 🙏🙏🙏
जिनका प्यार दिल और दिमाग दोनों ही जगह हो वह हक से भगवान से अपना प्यार मांग सकते हैं। या कह सकते हैं….
“वही शायद बेपनाह, बेइंतहा, बेहिसाब, मोहब्बत को मांग, जन्नते-ए-इश्क पाते हैं”… सही रहेगा?
Okk good👍👍💐💐
शुक्रिया वैष्णवी जी 🙏🏾🙏🏾
बहुत खूब 🙏👌👌
कमाल लिखी है।
शुक्रिया 🙏🏾 आभार