Comments (8)

Singh Saheb Mahender
30 Jul 2022 11:15 PM
गजल प्रस्तुत की आपने
बहुत शानदार है,
एक जगह पर त्रुटि है
दुरुस्त करें.
जैसे मुश्किलों से *जीतकर

'अशांत' शेखर
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31 Jul 2022 09:57 AM
जी बहोत बहोत शुक्रिया आपके सुझाव के लिए वैसे तो वहाँ हारकर होना चाहिए पर वो उपहासात्मक है जीतकर भी सिकंदर नही मानते हम सिर्फ अपने जिद में इँसा का खून बहाया है
28 Jul 2022 01:59 PM
वाह अत्यंत हीं खुबसूरत एवं प्रभावशाली
"दरिया से दरिया मिलके भी समंदर नहीं होता" हृदय को छूने वाले शब्द 🙏
'अशांत' शेखर
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28 Jul 2022 02:07 PM
जी बहोत बहोत दिल के गहराई से लाख लाख धन्यवाद 🙏🙏🙏🙏
28 Jul 2022 08:03 AM
लाजवाब गजल।बेहतरीन कलम।अति सुन्दर रचना।
'अशांत' शेखर
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28 Jul 2022 09:10 AM
बहोत बहोत बहोत ही धन्यवाद
28 Jul 2022 01:17 AM
भाई सच में आप गज़ल के मामले में sahityapidiya के कोहिनूर हो कोई आप सा नही लिखता। आप no 1 हो। बहुत ही आला ग़ज़ल ।
'अशांत' शेखर
Author
28 Jul 2022 09:09 AM
बहोत बहोत बहोत बहोत लाख लाख लाख शुक्रिया आभार धन्यवाद आपके प्रेरणा ने हमें इस मोड़ तक लाया इसलिए मैंने जब आप पर ग़ज़ल लिखी तभी पहली लाइन में मैंने आपके प्रति मेरी कृतज्ञता व्यक्त की है बस साहित्यपिडिया में मैं आपको पढता नही तो आज जो भी लिख रहा हूं वो संवेदना अंदर से नही फूटती