Bhaut achai Kavita hai
धन्यवाद दीदी
कुछ अतिशयोक्ति नहीं करते आप पति, पत्नियों को लेकर?
हास्य, व्यंग्य में थोड़ी बहुत अतिश्योक्ति की गुंजाइश तो रहती है, इस कविता में साझा अनुभव थोड़े व्यक्तिगत भी हैं, इसे हल्के फुल्के तरीके से पेश करने की कोशिश की है। सामान्यीकरण करने का मेरा कोई इरादा भी नहीं है। पर एक पति जब कुछ व्यक्त करता है तो उसे सब पतियों का प्रतिनिधि समझ लिया जाता हैं। आप कृपया इसे अन्यथा न लें, एक व्यक्तिगत सा गुदगुदाता अनुभव समझ लें, जिसमे एक दूसरे पर अधिकार, एक दूसरे की आदतों को स्वीकार करना भी, अंतर्निहित प्रेम का ही रूप है, बस रूमानी सा दिखता नहीं है।
Beautiful poem. Loved it.
Thank you
Beautifully composed ❤️
Thank you
अति उत्तम और मजेदार
आपका आभार
Relatable for every wife. Bahut badhiya
आपका धन्यवाद
बहुत ही सुंदर रचना जिसमें व्यंग के साथ प्रेम छुपा है।लड़ाई वही होता है जहा हक होता है।बहुत खूब।
आपके शब्दों का आभार