खखुबसूरत रचना।
कृपा “मेरा गुरूर है पिता” रचना पढ़कर कृतार्थ करें।
सुन्दर सृजन।
बहुत सुन्दर।मेरी रचना पिता की याद भी पढ़े और अपनी प्रतिक्रिया देकर मुझे कृतज्ञ करे
बेहतरीन कविता, मीनाक्षी जी।
यदि समय मिले तो कृपया मेरी रचना ” पिता का साया” का भी अवलोकन करने का कष्ट कीजिएगा।
साभार।
सुन्दर घनाक्षरी मीनाक्षी जी