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अगर दिल हमारा शीशे के बदले पत्थर का होता ,
ना टूटता , ना फूटता ,ना मानता , ना रूठता,
ना बार-बार हंसता , ना जार जार रोता ,
पत्थर के इंसा मिले , पत्थर के देवता मिले ,
शीशे का दिल लिए अब मैं जाऊं कहां ,
श़ुक्रिया !

सत्य वचन महोदय ! धन्यवाद

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