Comments (17)

Shyam Sundar Subramanian
11 Feb 2023 11:26 AM
अतिसुंदर विवेचना युक्त प्रस्तुति !
धन्यवाद !

महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
Author
11 Feb 2023 01:24 PM
thanks
17 Dec 2022 12:42 AM
Gale se neeche to poori Ramayan hi nahi utarti Bhai.
19 Dec 2022 05:51 PM
what a joke sir ji+
1 Dec 2022 04:57 PM
सटीक लेख, बहुत अच्छा लगा, आपको सादर अभिवादन 🙏🙏🎉
5 Dec 2022 02:06 PM
सुरेश कुमार चतुर्वेदी जी, धन्यवाद।
12 Nov 2022 06:49 PM
ज्ञानवर्धक लेख। इतिहास में विद्वेष फैलाने वाली रचनाओं से इसी तरह पर्दा उठना चाहिए। मनुस्मृति की भी टीका प्रकाशित होना चाहिए ताकि किन्हीं को मनुवादी उपाधि से विभूषित करने और इसे संकीर्ण मानसिकता वाला बताने का अवसर न प्राप्त हो सके।
5 Dec 2022 02:07 PM
श्री रमण 'श्रीपद्' जी, धन्यवाद।
11 Nov 2022 06:56 PM
अप्रतिम लेख
12 Nov 2022 09:12 AM
वन्दे मातरम।
5 Dec 2022 02:06 PM
Ishwardayal Goswami जी, धन्यवाद।
8 Oct 2022 11:47 AM
वर्तमान को देखकर अतीत को समझ लीजिए। शंबूक तो आज भी मारे जा रहे हैं।
10 Oct 2022 10:56 AM
आपकी पीड़ा मैं समझ सकता हूँ। हमारा लक्ष्य समृद्ध हिन्दू राष्ट्र बनाना है। वन्दे मातरम।
9 Sep 2022 11:44 PM
आपने अपने इस लेख के माध्यम से समाज में जातिवाद को मिटाने का जो प्रयास किया है वह अत्यंत सराहनीय है।।
10 Sep 2022 10:57 AM
धन्यवाद
6 Sep 2021 09:00 PM
आपकी बातों से हम पूर्ण सहमत हैं क्योंकि संस्कृत के श्रेष्ठ नाटककार भवभूति जी द्वारा लिखित नाटक "उत्तररामचरितम" के 'द्वितीय अंक' में शम्बूक को जीवंत रूप में दिखाया गया है। रामचन्द्र जी ने शम्बूक की हत्या नही की थी बल्कि रामायण में शम्बूक , श्री राम के सहयोगी पात्र थे।
7 Sep 2021 09:35 AM
सुनील कुमार जी, धन्यवाद।