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4 Aug 2025 07:34 PM

राकेश जी,

अत्यधिक सुंदर विचार और पंक्तियां – बहुत ही सरल और सहज ढंग से प्रस्तुत की गई हैं। मन को छू लेती है। जीवन में सब कुछ पाने की लालसा की जगह छोटे छोटे पलों को जीने की आवश्यकता है – सब कुछ नहीं मिल सकता । कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता।

बहुत सुंदर पंक्तियाँ लिखी हैं, आपका स्वागत करता है साहित्यापिडिया परिवार और हम सब की तरफ से कि एक नए लेखक के रूप में अपनी जगह बनाने में भूमिका अदा की है ! इसी तरह अच्छे अच्छे शब्दों को पिरोते रहीये और उस को एक बहुत बड़ी माला का रूप दिजीये ! आपके उज्जवल भविष्य की कामना करता हूँ !!

1 Aug 2021 11:51 PM

???
आप की सराहना और आप के आशीर्वाद के लिए कोटि कोटि धन्यवाद।
कोशिश करूँगा की आप की सराहना और मिले।

अवश्य मिलती रहेगी !!

29 Jul 2021 09:51 PM

बढ़ी दूरी से रिश्ते छूटे,
बात बिना रिश्ते टूटे,
जो मुहब्बत निभाई फिर भी अपने रूठे,
अपने रूठे तो ये जग छूटे,
मतलब कुछ ना कुछ छूटना तो लाज़मी है।

30 Jul 2021 12:10 AM

Definitely
We are loosing something..

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