रचना में उठाए गए हर प्रश्न अक्षरशः सत्य। औरत का अस्तित्व सिर्फ इन्हीं बातों तक ही सीमित नहीं। उनकी दुनिया भी बहुत बड़ी हो सकती है। सिर्फ इन्हीं बातों तक सिमट कर नहीं रह जाती ! पर इसके लिए हर मर्द को भी गुनहगार ठहराना उचित नहीं ! हर मर्द इन भेड़ियों की तरह नहीं होते ! विचारणीय प्रश्न !समाज की विचारधारा में बदलाव की अपेक्षा करती अति सुंदर अभिव्यक्ति ! ???
दिल से आभार मित्र
झकझोरती कटाक्ष पूर्ण विचारणीय रचना ??
आदरणीय प्रणाम
प्रतिक्रिया दीजिए?
बहुत ही प्रासंगिक रचना है नारी के दर्द को बहुत ही उत्कृष्ट तरीके से आपने बताया है यह कभी भी प्यार नहीं हो सकता इस पर सोचने की जरूरत है जबकि पुरुष और नारी एक रथ के दो पहिए हैं एक के बिना दूसरे की कल्पना ही नहीं की जा सकती है ऐसी रचना के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद
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